हमारा लक्ष्य जाने का, उस शिवपुरी का जहां से जाने के बाद कोई दुनिया में वापस नहीं लौटता: मुनिश्री- Shivpuri News

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शिवपुरी।
आप लौकिक शिवपुरी में रहते हैं इसलिए सिर्फ शिवपुरी की बात करते हैं, और हमारा लक्ष्य भी शिवपुरी जाने का है। उस शिवपुरी का जहां से जाने के बाद कोई दुनिया में वापस नहीं लौटता, उस पारलौकिक शिवपुरी का नाम है मोक्ष। इसलिए मोक्ष पथ के राही बनिए ना कि भव-भव में भ्रमण करने की तैयारी करिए यह बात छतरी जैन मंदिर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि अजित सागर महाराज ने कहीं।

उन्होंने कहा कि संतों के पास आने से या उनकी सन्निधि प्राप्त करने से व्यक्ति का जीवन खुशबू की तरह स्वत महक उठता है। जिस तरह से वातावरण में यदि खुशबू खुली हो तो उस खुशबू में वातावरण के आसपास रहने वालों को बेहतर अनुभव होता है और यदि वातावरण में गंदगी घुली हो तो दुर्गंध व्यक्ति प्राप्त करता है। इसलिए यह तय करने की जिम्मेदारी आपकी है कि आप सुगंधित वातावरण अर्थात संतों का सानिध्य चाहते हैं या दुर्गंध युक्त वातावरण अर्थात संसार सागर में परिभ्रमण करना चाहते हैं।

शांतिनाथ विधान और महामस्तिकाभिषेक

फिर से ट्रस्ट के अध्यक्ष एडवोकेट सूर्य कुमार जैन और महामंत्री देवेंद्र जैन के साथ एनके जैन ने बताया कि शांतिनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र नौ गजा सेसई सड़क में मुनि अजित सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में रविवार 12 फरवरी को सुबह 7.30 बजे मूलनायक शांतिनाथ भगवान का महामस्तकाभिषेक होगा। इसके उपरांत संगीतमय शांतिनाथ विधान और महाराज श्री के मंगल प्रवचन होंगे। कार्यक्रम के उपरांत सभी साधर्मी जनों के लिए वात्सल्य भोज की व्यवस्था कमेटी द्वारा की गयी है। छत्रि मंदिर के अध्यक्ष राजकुमार जैन और महामंत्री प्रकाश जैन ने बताया मुनि श्री ससंघ शनिवार 11 तारीख को शिवपुरी से विहार कर शाम 5 बजे सेसई अतिशय क्षेत्र पर पहुंचेंगे।

6 साल बाद शिवपुरी में हुई महाराज की अगवानी

सन 2016-17 में आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि अजित सागर महाराष्ट्र संघ का चातुर्मास हुआ था उस दौरान माहिती धर्म प्रभावना शिवपुरी नगर में हुई थी। यही नहीं मुनि श्री के सानिध्य में ही अतिशय क्षेत्र सिसई पर पंचकल्याणक महा महोत्सव का आयोजन हुआ था जिसमें 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाओं को विराजमान करने के साथ-साथ भगवान शांतिनाथ की मूर्ति पर मार्जन के उपरांत कुंथुनाथ और अरनाथ भगवान की मूर्ति को स्थापित कराया था। उसके बाद उनका मंगल प्रवेश शिवपुरी में पूरे 6 साल बाद हुआ है। जिनकी अगवानी ग्वालियर बायपास से छतरी जैन मंदिर तक जैन समाज के श्रद्धालुओं द्वारा गाजे- बाजे के साथ की गई।
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