शिवपुरी। पर्युषण पर्व के अंतिम दिन पौषद भवन मेें संत कुलरक्षित विजय जी और संत कुलधर्म श्री जी की उपस्थिति में स्थानकवासी समाज के तपस्या करने वाले और प्रतिक्रमण व्रत की आराधना कराने वाले श्रावक.श्राविकाओं का सम्मान किया गया। स्थानकवासी समाज और ब्राह्मी महिला मंडल द्वारा किया गया।
समारोह में स्थानकवासी समाज के अध्यक्ष राजेश कोचेटा ने तपस्वी भाई बहनों के तप की अनुमोदना की और उनकी सुख साता पूछी। वहीं उन्होंने श्रावकों को पर्यूषण पर्व के दौरान प्रतिदिन प्रतिक्रमण कराने वाले अशोक कोचेटा और रितेश गुलिया की प्रशंसा करते हुए उनका भी बहुमान किया। आराधना भवन में संत कुलदर्शन विजय जी ने संवत्सरी महापर्व के दौरान क्षमावाणी पर्व का महत्व बताया। आराधना भवन में भी तपस्या करने वाले और संघ की सेवा करने वाले भाई बहनों का बहुमान चार्तुमास कमेटी के अध्यक्ष तेजमल सांखलाए उप संयोजक प्रवीण लगाए मुकेश भांडावत और विजय पारख ने किया।
पोषद भवन में मुनि श्री कुलरक्षित विजय जी ने सबसे पहले अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया और इसके बाद सिद्धि तप की घोर तपस्या करने वाली निधि गोकरू का सबसे पहले सम्मान किया गया। तपस्वी निधि गोकरू ने पहले दिन एक उपवास, दूसरे दिन पारण, तीसरे दिन दो उपवास, चौथे दिन पारण, पांचवे दिन तीन उपवास फिर पारण, सातवें दिन 4 उपवास और पारणा। इस तरह से उपवास बढ़ाते हुए 8 उपवास तक किए। इस तरह से उन्होंने 36 उपवास किए।
11 उपवास की तपस्या करने पर निधि गोखरू का बहुमान हुआ तत्पश्चात 8 उपवास के तपस्वी श्रीमती पूर्णिमा कोचेटा और भूपेंद्र श्रीमाल का सम्मान किया गया। अऋम तप की आराधना करने वाली श्रीमती सुनीता कोचेटा, श्रीमती प्रीति कोचेटा, श्रीमती शशि गुगलिया, श्रीमति अनीता श्रीवालए कृष्णा गुगलिया, सुनीता श्रीमाली, कुण् कृति मूथा और अनीता गोखरू का बहुमान समाज के गणमान्य पदाधिकारियों ने किया।
ब्राह्मी महिला मंडल ने समाज की अनुकरणीय सेवा करने के लिए हरिकिशन शर्मा जी को भी सम्मानित किया। उनका सम्मान श्रीमती सुनीता कोचेटा ने किया। आराधना भवन में 9 वर्षीय इशिता संडावता ने तीन उपवास की तपस्या की। इस पर इशिका का बहुमान किया गया। पोषद भवन और आराधना भवन में जैनाचार्य कुलचंद्र सूरि जी पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जीए मुनि श्री कुलरक्षित विजय जी,मुनि श्री कुलधर्म सूरि जी ने संवत्सरी महापर्व के दौरान समाज के सभी लोगों से अपनी ज्ञात और अज्ञात गलतियों के लिए क्षमा याचना की।
श्वेताम्बर समाज के अध्यक्ष दशरथमल सांखला, चार्तुमास कमेटी के अध्यक्ष तेजमल सांखलाए स्थानकवासी समाज के अध्यक्ष राजेश कोचेटा, अशोक कोचेटा, विजय पारख आदि ने जैन संतों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना की।
मन में क्षमा का भाव नहीं है तो सभी धर्म आराधनाएं निरर्थक है
आराधना भवन में संत कुलदर्शन विजय जी ने बताया कि जैन धर्म की आत्मा क्षमा है। उन्होंने कहा कि चाहे कितने भी व्रत उपवास कर लो, दान पुण्य कर लोए सामायिक और प्रतिक्रमण कर लो। लेकिन जब तक मन में क्षमा भाव नहीं हैए तब तक सारी आराधनाएं निरर्थक हैं।
उन्होंने कहा कि संवत्सरी महापर्व के दौरान ऐसे लोगों से हमें क्षमा मांगना चाहिए। जिसके प्रति मन में द्वेष के भाव हैं या जिनका मन हमने कभी दुखाया है। लेकिन आज क्षमावाणी पर्व को हमने बहुत सस्ता बना लिया है। सोशल मीडिया पर क्षमा का मैसेज डालकर सोचते हैं कि हमने अपने कर्तव्य का निर्वहन कर लिया है।
लेकिन सच्ची क्षमा तो उनसे मांगनी चाहिए, जिनकी आंखों में हमने कभी आंसू लाएं हैं और जिनके साथ हमारा मन मुटाव है या जिन्हें हमने मन वचन काया से कभी अपमानित किया है। बिना क्षमा मांगने से हमारे पाप धुलते नहीं है।