सोशल मीडिया से:मछली बेशक़ पेड़ पर न चढ़ पाये पर एक दिन वो पूरा समंदर नाप देगी- Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी के पिछोर अनुविभाग के खनियाधानां विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले शासकीय उच्चर माध्यमिक कन्या विदयालय खनियाधानां में स्कूली बालिकाओ के मोटिवेशन के लिए गेस्ट लेक्चर का आयोजन किया गया। इस गेस्ट लेक्चर में पिछोर के साकेत पुरोहित ने एक स्पीच दी। इस स्पीच को हम सशब्द प्रकाशित कर रहे हैं। यह आज का यथार्थ सत्य हैं इस स्पीच को सभी पैरेंटसो को पढनी चाहिए,यह स्पीच बच्चो से अधिक पैरेंटसो के लिए आवश्यक हैं। यह स्पीच सीधा संदेश दे रही हैं कि आज के दौर में आप बच्चो से क्या चाहते हैं यह आवश्यक नही हैं बच्चे आप से क्या चाहते हैं यह आवश्यक है।

पढिए पहले साकेत पुरोहित डीपीएड टीचर की स्पीच

जंगल के राजा शेर ने ऐलान कर दिया कि अब आज के बाद कोई अनपढ़ न रहेगा। हर पशु को अपना बच्चा स्कूल भेजना होगा। राजा साहब का स्कूल पढ़ा-लिखाकर सबको सर्टिफिकेट Certificate बँटेगा।

सब बच्चे चले स्कूल। हाथी का बच्चा भी आया, शेर का भी, बंदर भी आया और मछली भी, खरगोश भी आया तो कछुआ भी, ऊँट भी और जिराफ भी। FIRST UNIT TEST/EXAM हुआ तो हाथी का बच्चा फेल।
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किस Subject में फेल हो गया हाथी का बच्चा पेड पर चढ़ने में फेल हो गया,अब का करें...... ट्यूशन दिलवाओ, कोचिंग में भेजो।अब हाथी की जिन्दगी का एक ही मक़सद था कि हमारे बच्चे को पेड़ पर चढ़ने में Top कराना है।

किसी तरह साल बीता। Final Result आया तो हाथी, ऊँट, जिराफ सब के बच्चे फेल हो गए। बंदर का बच्चा first आया । Principal ने Stage पर बुलाकर मैडल दिया। बंदर ने उछल-उछल के कलाबाजियाँ दिखाकर गुलाटियाँ मार कर खुशी का इजहार किया।

उधर अपमानित महसूस कर रहे हाथी,ऊँट और जिराफ ने अपने-अपने बच्चे कूट दिये

नालायकों, इतने महँगे स्कूल में पढ़ाते हैं तुमको|ट्यूशन-कोचिंग सब लगवाए हैं। फिर भी आज तक तुम पेड़ पर चढ़ना नहीं सीखे।

सीखो,बंदर के बच्चे से सीखो कुछ, पढ़ाई पर ध्यान दो। फेल हालांकि मछली भी हुई थी। बेशक़ Swimming में First आयी थी पर बाकी subject में तो फेल ही थी।
मास्टरनी बोली,आपकी बेटी के साथ अटेंडेंस की problem है।

मछली ने बेटी को आँखें दिखाई,बेटी ने समझाने की कोशिश की कि माँ,मेरा दम घुटता है इस स्कूल में। मुझे साँस ही नहीं आती। मुझे नहीं पढ़ना इस स्कूल में। हमारा स्कूल तो तालाब में होना चाहिये ना......

मां-नहीं, ये राजा का स्कूल है। तालाब वाले स्कूल में भेजकर मुझे अपनी बेइज्जती नहीं करानी। समाज में कुछ इज्जत Reputation है मेरी। तुमको इसी स्कूल में पढ़ना है। पढ़ाई पर ध्यान दो। हाथी, ऊँट और जिराफ अपने-अपने बच्चों को पीटते हुए ले जा रहे थे। रास्ते में बूढ़े बरगद ने पूछा,क्यों पीट रहे हो बच्चों को.......

जिराफ बोला,पेड़ पर चढ़ने में फेल हो गए,बूढ़ा बरगद सोचने के बोला,कि इन्हें पेड़ पर चढ़ाना ही क्यों है ? उसने हाथी से कहा, अपनी सूंड उठाओ और सबसे ऊँचा फल तोड़ लो। जिराफ तुम अपनी लंबी गर्दन उठाओ और सबसे ऊँचे पत्ते तोड़-तोड़ कर खाओ। ऊँट भी गर्दन लंबी करके फल पत्ते खाने लगा।

हाथी के बच्चे को क्यों चढ़ाना चाहते हो पेड़ पर, मछली को तालाब में ही सीखने दो न,दुर्भाग्य से आज स्कूली शिक्षा का पूरा Curriculum और Syllabus सिर्फ बंदर के बच्चे के लिये ही Designed है। इस स्कूल में 35 बच्चों की क्लास में सिर्फ बंदर ही First आएगा। बाकी सबको फेल होना ही है। हर बच्चे के लिए अलग Syllabus, अलग Subject और अलग स्कूल चाहिये।

हाथी के बच्चे को पेड़ पर चढ़ाकर अपमानित मत करो। जबर्दस्ती उसके ऊपर फेलियर का ठप्पा मत लगाओ। ठीक है, बंदर का उत्साहवर्धन करो पर शेष 34 बच्चों को नालायक, कामचोर, लापरवाह, Duffer, Failure घोषित मत करो। मछली बेशक़ पेड़ पर न चढ़ पाये पर एक दिन वो पूरा समंदर नाप देगी।

अभिभाषको के लिए शिक्षा

अपने बच्चों की क्षमताओं व प्रतिभा की कद्र करें चाहे वह पढ़ाई, खेल, नाच, गाने, कला, अभिनय,व्यापार, खेती, बागवानी, मकेनिकल, किसी भी क्षेत्र में हो और उन्हें उसी दिशा में अच्छा करने दे। जरूरी नहीं कि सभी बच्चे पढ़ने में ही अव्वल हो! बस जरूरत हैं उनमें अच्छे संस्कार व नैतिक मूल्यों की जिससे बच्चे गलत रास्ते नहीं चुने

स्कुल के फिजीकल ऐजुकेशन टीचर कीर्ति सिंह ठाकुर ने बच्चो के लिए मोटिवेशन कार्यक्रम रखा था। इस कार्यक्रम में सभी गेस्ट अतिथियो ने अपनी बात से बच्चो को मोटिवेट किया,लेकिन पुरोहित जी की यह स्पीच आज के दौर के यथार्थ सत्य है।
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