शिवपुरी। खबर शिवपुरी के सहकारी बैंक घोटाले से जुडी हैं,इस महाघोटाले मे विलेन नंबर 1 बनाए गए कोलारस सहकारी बैंक के कैशियर राकेश पाराशर की प्रोपर्टी को कुर्क करने की तैयारी शुरू कर दी गई हैं। प्रोपर्टी की लिस्ट बनाई जा रही हैं, और उन पर चेतावनी सूचना कभी भी चस्पा की जाती हैं,कि इन प्रोर्पर्टी को अधिग्रहण करने की तैयारी की जा रही है।
वही बताया जा रहा है कि सहकारी बैंक की जिला महाप्रबंधक लता कृष्णनन ने कोलारस सीएमओ,कोलारस तहसील,रजिष्टार कार्यालय को पत्र लिखकर राकेश पाराशर ओर उसके परिजनो के नाम की अचल संपत्ति का ब्योरा मांगा हैं। साथ में रजिष्टार कार्यालय में रजिष्ट्री पर रोक भी लगाने को कहा है। वही सीएमओ और तहसील कार्यालय में नामातंरण पर रोक लगाने की सिफारिश की है।
बताया जा रहा हैं कि घोटाला मीडिया में आने से पूर्व राकेश पाराशर के पुत्र चंचल पाराशर के नाम से 2 संपत्ति जो कोलारस में है वह बैची जा चुकी थी और इन्ही संपत्ति को बेचकर ही राकेश पाराशर ने 2 करोड सहकारी बैंक कोलारस में जमा कराए थे। लेकिन इन संपत्ति की अभी रजिष्ट्री नही हुई थी,अब वह लोग परेशान हैं जिन्होने मठाधीश से यह संपत्ति खरीदी थी।
वही बताया जा रहा है कि राकेश पाराशर की बसो को लेकर आरटीओ शिवपुरी आफिस को भी एक पत्र जारी कर बसो के विषय में भेजा गया हैं कि राकेश पाराशर और उसके परिवार के नाम दर्ज बस किसी ओर को न बेच दे इसलिए इन बसो एंव अन्य वाहनो का नाम ट्रांसफर न किया जाए।
वही बताया जा रहा है कि अचल संपत्ति की रजिष्ट्री और बसो के नामो के ट्रांसफर को लेकर राकेश पाराशर और उसके परिजन हाईकोर्ट ने जा सके उसके लिए केविएट लगाने की तैयारी की जा रही है।
वही सूत्रो के अनुसार अगर राकेश पाराशर और उसके परिजनो द्धवारा संचालित फर्म रामेश्वर धाम से संचालित बसो की बात करे तो वह राकेश पाराशर और परिजनो के नाम नही है। कोरोना काल के पहले लॉकडाउन में रामेश्वर धाम ने बसे खरीदी थी। बसो की संख्या लगभग 150 बताई जा रही हैं।
सभी बसे पुरानी खरीदी गई थी वह भी परमिट सहित इन बसो का पूरा भुगतान रामेश्वर धाम ने नही किया थां आधा भुगतान नगद किया था ओर बाकी पेमेंट के चैक दिए गए थे। तय शुदा अनुवंध के अनुसार चैक क्लीयर होने का समय नही आया था और उससे पहले ही यहां घोटाला उजागर हो गया और परिवार भूमिगत हो गया।
घोटाला उजागर होने के बाद सभी बसो को उन्ही लोगो ने वापस ले लिया जिन्होने रामेश्वर धाम को यह बसे बेची थी। जब पेमेंट पूरा नही हुआ था तो बसे रामेश्वर धाम के नाम ट्रासंफर न होने की खबरे आ रही हैंं। वर्तमान में जिले की ऐसा कोई बस नही है जिस पर मठाधीश नाम का झंडा लगा हो।