SHIVPURI NEWS - प्यास बड़ी चीज है, प्रतिदिन लोगों को देनी होती है अग्निपरिक्षा, निर्लज्जता का प्रत्यक्ष उदाहरण

Bhopal Samachar
शिवपुरी। प्यास बड़ी चीज है इस वाक्य को इस गांव जैसे हालत देखकर ही लिखा गया होगा,बदरवास जनपद की झूलना पंचायत के आदिवासी बस्ती भासोडा में लोग पीने का पानी को पाने के लिए प्रतिदिन अपनी जिंदगी दाव पर लगाते है। इस बस्ती के लोग रात में एक किलोमीटर दूर जाकर एक कुंए से पानी लाते है। इस कुंए में से पानी प्राप्त करने के लिए उसमें उतरना पड़ता है,यह पानी भी दूषित है लगातार इस पानी को पेयजल के रूप में प्रयोग करने पर एक स्वस्थ इंसान बीमार हो सकता है,लेकिन जिंदगी जीने के लिए यह लोग संघर्ष कर रहे है।

झूलना पंचायत के आदिवासी बस्ती भासोड़ा का है जहां के निवासी बूंद बूंद पानी को मोहताज हो रहे हैं। मीडिया ने जब गांव में जाकर स्थिति देखी जिसमें गांव में कुल 15 कुंए और 3 हैंडपंप हैं जिनमें से सभी हैंडपंप खराब हैं और सभी कुएं सूखे पड़े हैं ऐसी स्थिति में पेयजल की भारी समस्या से इस आदिवासी बस्ती के निवासी जूझ रहे हैं।

गांव से एक किलोमीटर दूर स्थित एक पानी का सरकारी कुआं है जिसमें बूंद बूंद पानी रिस रिसकर रात भर में एकत्रित होता है और रात भर ग्रामीणों को जागना होता है क्योंकि जीवन चलने के लिए पानी चाहिए। पानी का एकमात्र स्रोत इस कुएं में भी अग्नि परीक्षा से ग्रामीणों को जूझना पड़ता है। गहरे कुएं में उतरकर और छोटे डिब्बे से बर्तनों को भरना पड़ता है।जान जोखिम में डालकर ग्रामीण कुंए में उतरते हैं।पानी भी गंदा और दूषित एकत्रित होता है। इस पानी को पीकर ग्रामीण बीमार हो रहे हैं।

जब इंसानों को ही जान जोखिम में डालकर बूंद बूंद पानी के लिए मोहताज होना पड़ रहा है तो फिर मवेशी जानवरों की स्थिति क्या हो रही होगी इसका अंदाजा लगाना सहज नहीं है। वैसे तो सरकार विकास के बड़े बड़े दावे करती है और विकास का ढिंढोरा पीटती है लेकिन पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित इस आदिवासी गांव भासोड़ा में इन दावों की हवा निकलती दिख रही है। इस गांव के निवासियों का पूरा दिन और रात जीवन चलाने के लिए पानी की तलाश और एकत्रित करने में ही गुजर जाता है। यह बस्ती में प्यास बुझाने के लिए लोग यह उदाहरण किसी एसी में बैठे अधिकारियों की निर्जलजा का प्रत्यक्ष उदाहरण ळै।

कुएं का पानी खत्म तो चार किलोमीटर दूर जाकर मिलता है

इस भासोड़ा बस्ती गांव के निवासी वास्तव में बूंद बूंद पानी के लिए कितना परेशान हो रहे हैं इसका अंदाजा लगाना अधिकारियों को आसान नहीं है और न ही उनकी समस्या से इनका कोई वास्ता। गांव से एक किलोमीटर दूर कुएं में उतरकर बूंद बूंद पानी की खोज भी यहीं खत्म नहीं होती। जब इस कुएं में सीमित मात्रा में पानी इकट्ठा होता है और कुछ ही देर में खत्म हो जाता है तो फिर पानी के लिए इस  भासोड़ा के ग्रामीणों की तलाश फिर शुरू होती है और यह तलाश पूरी होती है गांव से चार किलोमीटर दूर बसे झूलना गांव से। यहां से पानी लाने के लिए लोगों ने बैलगाड़ियों, ट्रैक्टर,साइकिल पर व्यवस्था बना रखी हैं जिनसे ये लोग पानी ढोने का काम करते हैं।पानी की इस विकराल समस्या से ग्रामीण प्रतिदिन ही जूझ रहे हैं और आलाधिकारी वातानुकूलित निवास और कार्यालयों में बैठकर झूठे आंकड़े प्रस्तुत कर कागजी खानापूर्ति पूरी कर रहे हैं।

फैक्ट फाइल

  • कुल कुएं 15
  • सरकारी कुएं– 2
  • निजी कुएं –13
  • कुल हैंडपंप –3
  • खराब हैंडपंप –3

क्या कहते हैं ग्रामीण

गंदा पानी पीकर हम बीमार हो रहे हैं और पानी भी झूलना,श्यामपुरा से लाकर जीवन बचा रहे हैं।
सावित्री बाई,ग्रामीण

हमारे हमारे गांव में पानी के लिए सभी हैंडपंप खराब हैं।एक किलोमीटर दूर कुएं से गंदा पानी लाते हैं। वहां खत्म होने पर चार किलोमीटर दूर झूलना गांव से पानी लाते हैं।
अभिषेक अहिरवार,ग्रामीण

मामला संज्ञान में है। मैं और एई साहब इस गांव में जाकर स्थिति देख चुके हैं। टीम को भेजकर हैंडपंप सही करवाते हैं।
रजनीश शर्मा,सब इंजीनियर पीएचई