शिवपुरी। सर, यदि कोई लड़का या लड़की अपने बाल विवाह को शून्य कराना चाहता है, किंतु उनके पास एक बच्चा है, तो बाल विवाह शून्य होने के बाद उस बच्चे का क्या होगा? क्या वह बच्चा अवैध माना जाएगा? यह प्रश्न बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में एक प्रतिभागी ने पूछा।
प्रश्न का जवाब देते हुए बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि, बच्चे कभी अवैध नहीं होते, अवैध संबंधों से जन्मे बच्चे भी वैध होते है। बाल विवाह अवैध नहीं है, उसकी वैधता है, किंतु उसकी वैधता को शून्य कराया जा सकता है। जहां बच्चा हो चुका हो, उस बाल विवाह को शून्य के मामले में, कोर्ट बच्चे की संरक्षता एवं भरण पोषण के आदेश देगा।
दरअसल जन अभियान परिषद द्वारा मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम के तहत संचालित बीएसडब्ल्यू एवं एमएसडब्ल्यू के छात्र छात्राओं के साथ महिला एवं बाल विकास द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जन अभियान परिषद के विकासखंड समन्वयक राम तिवारी, मेंटर्स उमा व्यास, गिरिजा कुशवाह, राजू कुशवाह, व्रजेश कुशवाह एवं सुनील राजावत मौजूद रहे।
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत कलेक्टर स्वींद्र कुमार चौधरी के निर्देशन में 2029 तक जिले को बाल विवाह मुक्त जिला बनाने के लिए 100 दिवसीय जागरूकता अभिवान चलाया जा रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी धीरेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि अभियान के तहत समुदाय, विशेषकर युवा एवं किशोरों को बाल विवाह के दुष्प्रभाव से परिचित कराया जा रहा है।
बच्चा धर्मज संतान माना जाएगा
अभिरक्षा के निर्णय में बच्चे के कल्याण और उसके सर्वोत्तम हितों को केंद्र में रखकर कार्य किया जाएगा। बाल विवाह निषेध कानून की धारा 6 में बाल विवाह से जन्मे बच्चे को अवैध संतान नहीं, बल्कि 'धर्मज संतान' माना गया है। बच्चे के श्रेष्ठतम हितों को ध्यान में रखकर ही उसकी संरक्षता सुनिश्चित की जाएगी। यदि माता-पिता या परिवार उस बच्चे की अभिरक्षा के लिए सहमत नहीं होते, तब न्यायालय बच्चे को बाल देखभाल संस्थाओं में रखने पर भी विचार कर सकता है।
प्रश्न का जवाब देते हुए बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि, बच्चे कभी अवैध नहीं होते, अवैध संबंधों से जन्मे बच्चे भी वैध होते है। बाल विवाह अवैध नहीं है, उसकी वैधता है, किंतु उसकी वैधता को शून्य कराया जा सकता है। जहां बच्चा हो चुका हो, उस बाल विवाह को शून्य के मामले में, कोर्ट बच्चे की संरक्षता एवं भरण पोषण के आदेश देगा।
दरअसल जन अभियान परिषद द्वारा मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम के तहत संचालित बीएसडब्ल्यू एवं एमएसडब्ल्यू के छात्र छात्राओं के साथ महिला एवं बाल विकास द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जन अभियान परिषद के विकासखंड समन्वयक राम तिवारी, मेंटर्स उमा व्यास, गिरिजा कुशवाह, राजू कुशवाह, व्रजेश कुशवाह एवं सुनील राजावत मौजूद रहे।
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत कलेक्टर स्वींद्र कुमार चौधरी के निर्देशन में 2029 तक जिले को बाल विवाह मुक्त जिला बनाने के लिए 100 दिवसीय जागरूकता अभिवान चलाया जा रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी धीरेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि अभियान के तहत समुदाय, विशेषकर युवा एवं किशोरों को बाल विवाह के दुष्प्रभाव से परिचित कराया जा रहा है।
बच्चा धर्मज संतान माना जाएगा
अभिरक्षा के निर्णय में बच्चे के कल्याण और उसके सर्वोत्तम हितों को केंद्र में रखकर कार्य किया जाएगा। बाल विवाह निषेध कानून की धारा 6 में बाल विवाह से जन्मे बच्चे को अवैध संतान नहीं, बल्कि 'धर्मज संतान' माना गया है। बच्चे के श्रेष्ठतम हितों को ध्यान में रखकर ही उसकी संरक्षता सुनिश्चित की जाएगी। यदि माता-पिता या परिवार उस बच्चे की अभिरक्षा के लिए सहमत नहीं होते, तब न्यायालय बच्चे को बाल देखभाल संस्थाओं में रखने पर भी विचार कर सकता है।