शिवपुरी। नगरपालिका शिवपुरी में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पदों पर इस समय कांग्रेस काबिज है, लेकिन पिछले पांच साल में नगरपालिका में कांग्रेस का जो कार्यकाल रहा है उसे देखते हुए नवम्बर-दिसम्बर में होने वाले नगरपालिका चुनाव के लिए कांग्रेसियों में कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। सिंधिया की पराजय से भी कांग्रेसी हताश और निराश नजर आ रहे हैं। एक वरिष्ठ कांग्रेसी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लोकसभा चुनाव में जब सिंधिया जैसे जनाधार संपन्न नेता को शिवपुरी शहर से 20 हजार से अधिक मतोंसे पराजय हासिल हुई तो नगरपािलका के चुनाव में कांग्रेस की नैया कैसे पार लगेगी।
पिछले नगरपालिका चुनाव में अध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रत्याशी मुन्नालाल कुशवाह ने भाजपा प्रत्याशी हरिओम राठौर को लगभग साढ़े 6 हजार मतों से पराजित किया था। इसके बाद उपाध्यक्ष पद के लिए भी चुनाव में भी कांग्रेस के अनिल शर्मा अन्नी ने भाजपा प्रत्याशी भानू दुबे को पराजित किया था। उपाध्यक्ष पद का चुनाव अप्रत्यक्ष पद्धति से होता है और जिसमें सभी 39 वार्डों के पार्षद और नगरपालिका अध्यक्ष मतदान करते हैं।
नगरपालिका में भाजपा की तुलना में कांग्रेस के पार्षद कम जीते थे, लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस ने उपाध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया। नगरपालिका में भी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने कुछ भाजपा पार्षदों की अप्रत्यक्ष मदद से नगरपालिका चलाई। जबकि नगरपालिका अध्यक्ष का विरोध उनकी पार्टी के कई पार्षद खुले रूप में करते रहे। नगरपालिका का 2014 से 2019 तक का कार्यकाल बहुत खराब रहा और जनता नगरपालिका के कारण खासी परेशान रही। बताया जाता है कि इसी कारण विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा।
सिंधिया की शिवपुरी शहर से बुरी तरह पराजय में एक बड़ा कारण नगरपालिका का खराब कार्यकाल भी रहा। लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद सिंधिया ने एक तरह से अपने निर्वाचन क्षेत्र से मुंह मोड़ लिया है और वह गुना शिवपुरी के स्थान पर वर्तमान में ग्वालियर से अधिक सक्रिय दिख रहे हैं। पराजय के पश्चात वह सिर्फ एक बार अपने ससंदीय क्षेत्र में आए थे, लेकिन उस दौरान भी उन्होंने सिर्फ अपने कार्यकर्ताओं से ही बातचीत कर हार के कारण जाने। उन्होंने जनता से भेंट भी नहीं की।
इस कारण यह माना जा रहा है कि नगरपालिका चुनाव में भी वह अपने क्षेत्र में नहीं आएंगे। इससे कांग्रेसी अपने आपको हताश महसूस कर रहे हैं और उनमे ंचुनाव लडऩे के लिए कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है। एक कांग्रेसी ने बताया कि भले ही कांग्रेस देखने दिखाने को नगरपालिका का चुनाव लड़े लेकिन बिना सिंधिया के आए कैसे कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव जीतेंगे ।